पश्चिमी मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाबरा क्षेत्र में बसी 'भील' जनजाति के पास अब अपना रेडियो स्टेशन होने जा रहा है. यह रेडियो स्टेशन इस जनजाति की ठेठ बोली में बात करेगा, उसके सरोकारों को समझेगा और उसकी संस्कृति के तराने सुनाएगा. भाबरा रेडियो स्टेशन से हर रोज दो घंटे का कार्यक्रम प्रसारित किया जाएगा. इन कार्यक्रमों को स्थानीय स्तर पर जनजातीय समुदाय ही तैयार करेगा और इन्हें रेडियो स्टेशन के 20 किलोमीट के दायरे में सुना जा सकेगा. भाबरा रेडियो स्टेशन दुनिया का पहला जनजातीय सामुदायिक रेडियो केंद्र होगा, जिसे यह समुदाय खुद चलाएगा.
पिछड़े इलाकों में बसे आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा में लाने और उनकी संस्कृति को अगली पीढ़ियों के लिए बचाए रखने के लिए 110 स्थानों को सामुदायिक रेडियो स्टेशन खोलने के लिए चिन्हित किया गया है. उनके अनुसार, भाबरा रेडियो स्टेशन से इस अभियान की शुरूआत होगी, जिसमें राज्य सरकार का आदिम जाति कल्याण विभाग मदद कर रहा हैं. भाबरा, वह स्थान है, जहां महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद का बचपन बीता. राज्य में जनजातियों के सामुदायिक रेडियो स्टेशन शुरू करने के अभियान की अगुआई सरकारी उपक्रम 'वन्या' कर रहा है. 'वन्या' के प्रबंध संचालक और संस्कृति विभाग के संयुक्त सचिव श्रीराम तिवारी के अनुसार, राज्य के 110 आदिवासी बहुल इलाकों में सामुदायिक रेडियो स्टेशन शुरू करने का संकल्प लिया है, ताकि इस समुदाय में सूचनाओं के अभाव को दूर किया जा सके. उनके अनुसार, रेडियो जैसा सस्ता और सुलभ माध्यम पिछड़े इलाकों में बसे आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा में लौटाने के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है.
साभारः शिल्पकार टाइम्स
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