Tuesday, September 13, 2011

दिल्ली विश्वविद्यालय का दोगलापन


दिल्ली विश्वविद्यालय के एमए संस्कृत में ज्योतिष की कक्षाएं नहीं लग रहीं हैं. इसका कारण संस्कृत विभाग में प्राध्यापक नहीं होने के साथ-साथ अनुसूचित जाति की एक छात्रा भी बताई जा रही है. छात्रा ज्योतिष पढ़ने की जिद पर अड़ी है, जबकि उसकी शिकायत है कि विभागाध्यक्ष ने उसे स्पष्ट कह दिया है कि 'ज्योतिष तुम्हारी जाति के लोगों के लिए नहीं है.' छात्रा इसकी शिकायत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश सिंह से कर चुकी है लेकिन 15 दिन तक समस्या का समाधान न निकलने पर दिलेर छात्रा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग पहुंच गई है. अब आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है.
विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में एमए अंतिम वर्ष की छात्रा सरिता ने बताया कि 21 जुलाई से तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हो चुकी है. छात्रों को नौ ऑप्शनल विषयों में से एक विषय पढ़ना होता है. मैंने ऑप्शनल के रूप में ज्योतिष विषय चुना है. सरिता ने बताया कि कुछ दिन तक यह कहा गया कि विभाग में ज्योतिष के शिक्षक नहीं हैं. जबकि विश्वविद्यालय और उसके शिक्षकों को दोगलापन तुरंत सामने आ गया. छात्रा का कहना है कि संस्कृत के विभागाध्यक्ष डॉ. मिथलेश कुमार चतुर्वेदी के बुलावे पर अगस्त के दूसरे सप्ताह में उनके कार्यालय पहुंची. वहां विभागाध्यक्ष ने छात्रा से कहा कि ज्योतिष तुम्हारी जाति के लोगों के लिए नहीं है. इसलिए तुम इस विषय को नहीं पढ़ सकती. शिक्षक का यह कहना सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी है. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही विवाद पर सुनवाई करते हुए वर्ष 2004 के अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया था कि हर जाति के विद्यार्थी ज्योतिष पढ़ सकते है.
इधऱ विश्वविद्यालय के कुलपति भी मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. छात्रा को ज्योतिष पढ़ाने से इंकार करने वाले शिक्षक पर कार्रवाई करने की बजाय कुलपति मामले पर ढ़ुलमुल रवैया अपना रहे हैं. कुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह का कहना है कि संस्कृत विभाग से कुछ छात्रों की शिकायत तो आई थी, जिसमें उन्होंने ज्योतिष पढ़ाने के लिए प्राध्यापक नियुक्त करने की मांग की थी. मैंने विभाग को छात्रों की समस्या हल करने के निर्देश दिए थे. जहां तक अनुसूचित जाति की छात्रा को ज्योतिष न पढ़ाए जाने की बात है तो यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. जबकि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार आरके सिन्हा का कहना है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने छात्रा की शिकायत पर जो स्पष्टीकरण मांगा है, उसके लिए संस्कृत विभाग से पूछताछ की जाएगी. उसके बाद आयोग के हर सवाल का जवाब दिया जाएगा.

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