Tuesday, September 13, 2011

लोकपाल बिल में भागीदारी को लेकर सोशल जस्टिस फोरम का प्रदर्शन

लोकपाल में वंचित समाज की भागीदारी और हित सुरक्षित रखने की मांग को लेकर तकरीबन 40 संगठनों के समूह ‘सोशल जस्टिस फोरम’ द्वारा 5 सितंबर को एक विशाल रैली निकाली गई. सुबह तकरीबन 11 बजे अंबेडकर भवन से शुरू होकर यह रैली स्टेशन रोड और कनॉट प्लेस के कई हिस्सों में अपनी मांगों का उदघोष करती हुई जंतर-मंतर पहुंची. हाथों में मांगों की तख्तियां लिए और माथे पर दलित आंदोलन की पट्टी बांधे रैली में प्रबुद्ध वर्ग, तमाम अधिकारी, व्यवसायी और जेएनयू एवं डीयू के छात्र-छात्रा सहित समाज के हर तबके के लोग मौजूद थे. अपनी मांगों को लेकर उनके इरादों की मजबूती इसी से भांपी जा सकती है कि इस दौरान दो बार बारिश आने के बावजूद किसी के कदम नहीं डिगे. हर कोई मांग का झंडा थामे खड़ा रहा.
जंतर-मंतर पर आम सभा करने के बाद यह रैली पार्लियामेंट स्ट्रीट की ओर कूच कर गई. इस दौरान पुलिसकर्मियों ने तीन जगह रैली को रोकने की कोशिश की लेकिन ‘भीम’ के बेटे और बेटियों के आगे पुलिस को हार मानना पड़ा. सभी पुलिसिया बैरिकेट्स को तोड़ते हुए रैली पार्लियामेंट स्ट्रीट पर पहुंचीं, जहां जेएनयू के डा. विवेक कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए पिछले दिनों जनलोकपाल को लेकर चले मुहिम को आंदोलन मानने से इंकार कर दिया. उन्होनें कहा कि आंदोलन विचारधारा से बनते हैं ना कि कुछ लोगों के बैठने से. अन्ना के अनशन को धिक्कारते हुए उन्होंने कहा कि वहां आरक्षण और बाबा साहेब के विरोध में नारे लग रहे थे. चेताया कि उसमें दलित समाज के भी युवा मौजूद थे और उन्हें अब चेत जाना चाहिए. चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि अगर ‘बाबा’ के बेटे जाग गए तो गांधी के बेटों को भागना पड़ेगा. साथ ही जोर दिया कि लोकपाल में सबकी आवाज शामिल होनी चाहिए. इस दौरान बेला ग्रुप ने शानदार नाटक किया.
फोरम द्वारा जिन पांच मुख्य मांगों को लोकपाल में शामिल करने की मांग की जा रही है, उनमें लोकपाल में दलितों के साथ जातीय, सामाजिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक आधार पर भेदभाव को शामिल करने की मांग शामिल है. इसके अलावा मीडिया, कॉरपोरेट जगत, सरकारी अनुदान पर चल रहे स्वयं सेवी संगठनों (एनजीओ) सहित केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा वंचित समाज के लिए चलाई जा रही योजना के तहत एससी/एसटी को उनकी संख्या के मुताबिक बजट न देने को भी लोकपाल बिल में भ्रष्टाचार मानने की सिफारिश की गई है. फोरम द्वारा सिर पर मैला ढ़ोने की प्रथा चलाने वाले लोगों को सामाजिक भ्रष्टाचार मानते हुए इस बिल में शामिल करने एवं न्यायपालिका, भूमि वितरण, पंचायतों, नगर पालिकाओं, नगर निगमों एवं अन्य स्वायतशासी संस्थाओं को भी लोकपाल के दायरे में लाने की मांग शामिल है.
फोरम ने इस बात को लेकर भी सरकार को साफ चेता दिया है कि बाबा साहब द्वारा बनाए गए संविधान की मूल भावना के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न की जाए. ज्ञापन सौंपने गए लोगों में पॉल दिवाकर, आशा गौतम, महेंद्र जी, राजेंद्र गौतम और कमल सिंह शामिल थे. पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे मुख्य लोगों में जेएनयू के डा. विवेक कुमार, व्यवसायी एवं वरिष्ठ समाजसेवी जय भगवान जाटव, विमल थोरात, अशोक भारती (नैक्डोर), डा. एस.एन गौतम, जयप्रकाश कर्दम, सहित तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. पिछले दिनों उदित राज के बहुजन लोकपाल बिल के बाद दलित वर्ग के संगठन का यह दूसरा बिल है.

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