Tuesday, December 8, 2009

हर 18वें मिनट में होता है दलित के साथ अत्याचार

कभी-कभी यह मानने को विवश हो जाना पड़ता है कि हम दलित शायद तमाम अत्याचार, पीड़ा, अपमान और ज्यादतियां सहने के लिए ही इस धरती पर आएं हैं. यकीं नहीं आता तो इस आंकड़े को देखिए. हर दिन तीन दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है. हर हफ्ते पांच दलितों के घर जलाए जाते हैं. छह का अपहरण होता है. 11 दलितों की पिटाई होती है और हर सप्ताह 13 दलितों की हत्या होती है. यानि कुल मिलाकर हर 18वें मिनट में किसी न किसी दलित भाई के साथ अत्याचार हो रहा होता है. यह आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र का है. देश के 11 राज्यों के 565 गांवों में कराए गए सर्वे से यह बात सामने आई है. यह भी तय है कि अन्य गांवों या राज्यों की स्थिति इससे बेहतर नहीं होगी. यह आंकड़े पिछले पांच साल के हैं.
यह आंकड़े उस स्थिति के हैं जब आज भी तमाम थाने में दलितों पर अत्याचार की रिपोर्ट नहीं लिखी जाती. कई तो खुद ही रिपोर्ट नहीं लखवाते हैं. समाजिक बदलाव के दावों के बीच ये आंकड़े बता रहे हैं कि सभी दावे बस कागजी भर हैं. इसी अध्ययन में जारी कई अन्य आंकड़ों को देखें तो वह भी दलितों पर अत्याचार की बानगी ही पेश करते हैं. आंकड़ों के मुताबिक 33 फीसदी गांवों में स्वास्थकर्मी दलितों के घर जाकर उनका इलाज करने से मना कर देते हैं. करीब 38 फीसदी सरकारी स्कूलों में दलित बच्चों को दोपहर का भोजन अलग बैठा कर कराया जाता है. 23.5 फीसदी गांवों में दलितों को उनके घरवालों की चिठ्ठी नहीं मिलती. यानि दलित समाज के सौ में से लगभग 25 लोगों को डाकिया उनकी चिठ्ठी नहीं देता है. वहीं लगभग 50 फीसदी (48.4) गांवों में दलितों को सावर्जनिक जल स्रोतों से पानी नहीं लेने दिया जाता है. वहीं उच्च समुदाय के लोगों से दलित कितने प्रताड़ित हैं, इसका लेखा भी इस अध्ययन में है. इसके मुताबिक 27.6 फीसदी गांवों में दलितों को थाने तक नहीं पहुंचने दिया जाता है.

Monday, December 7, 2009

दलित युवक कुर्सी पर बैठ गया तो गोली मार दी

घटना चार दिसंबर, 09 की है. बिहार के छपरा जिले में एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई. उस युवक की दो गलतियां थी. पहला वह दलित था और दूसरा दलित होने के बावजूद वह कुर्सी पर बैठ गया. घटना छपरा जिले के सलेमपुर गांव की है. गांव में राजपूत जाति के एक व्यक्ति के यहां बारात आई थी. द्वारपूजा का वक्त था. वहीं पर गांव का एक दलित युवक कुर्सी पर बैठा था. यह बात दूल्हे के पिता को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने उसे गोली मार दी. मौके पर ही दलित युवक की मौत हो गई.