Sunday, September 25, 2011

शिकायत लेकर पहुंचे व्यक्ति को डीएम ने आफिस से निकाला

तथाकथित ज्यादातर सवर्ण अधिकारियों में दलितों के हित के लिए दर्द नहीं होता, उत्तर प्रदेश में घटी एक घटना से यह बात फिर साबित हो गई है. प्रदेश के इटावा में एक आईएएस अधिकारी ने एक दलित व्यक्ति को अपने आफिस से धक्के देकर निकाल दिया. पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत लेकर डीएम के पास पहुंचा था. लेकिन डीएम को यह नागवार गुजरा और उसने उस व्यक्ति को आफिस से बाहर निकाल दिया. घटना 22 सितंबर की है. शहरी दलितों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की कांशीराम आवास योजना है. इसके तहत जरुरतमंद लोगों को सरकार की तरफ से मकान दिया जाता है, पीड़ित व्यक्ति इसी मांग को लेकर अधिकारी से मिलने पहुंचा था. हैरत की बात यह है कि उस दौरान विशेष मुख्य सचिव आर पी सिंह भी इटावा के जिलाधिकारी के साथ मौजूद थे. लेकिन विशेष मुख्य सचिव ने डीएम को रोकने की बजाय उसका साथ दिया और उनकी मौजूदगी में डीएम ने दलित व्यक्ति को धक्के देते हुए बाहर निकाल दिया.
यह सारी स्थिति तब है जब यूपी में चुनाव होने हैं. मुख्यमंत्री मायावती जहां दलितों के कल्याण के लिए तमाम हितकारी योजनाएं चला रही हैं, तो वहीं उनके प्रदेश के अधिकारी ही उनके मंसूबों पर पानी फेरने में जुटे हुए हैं. पिछले दिनों में अपनी पार्टी के कई सवर्ण नेताओं और अधिकारियों की वजह से माया सरकार को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. उनकी प्रशासन पर ऊंगली उठती रही है. सवर्ण और बेलगाम अधिकारियों की करनी के कारण विपक्षी दलों को माया सरकार पर निशाना साधने का मौका मिलता रहा है. ऐसे में इस घटना से मायावती सरकार पर एक बार फिर ऊंगली उठने लगी है. मुख्यमंत्री को इस तरह दलितों के साथ बदसलूकी करने वाले अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि अन्य अधिकारी भी चौकन्ने हो जाएं. चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस और सपा, बसपा सरकार में घटित हुए छोटी-छोटी घटनाओं को तूल देने में जुटी है. कांग्रेस ने तो पीएल पुनिया को इसके लिए विशेष तौर पर नियुक्त कर दिया है, जो देश भर में घूम कर माया सरकार की बखिया उधेड़ते रहते हैं. बसपा सरकार के सामने बैकफुट पर पड़ी सभी पार्टियों का निशाना दलित वोट बैंक ही हैं. कांग्रेस पार्टी जहां इसमें सेंध लगाने में जुटी है तो वहीं सपा दलितों के साथ होने वाली घटनाओं को सामने रखकर दलितों को भड़काने का काम कर रही है. बसपा सरकार को संभलते हुए अब इटावा के डीएम पर तुरंत कार्रवाई कर के पीड़ित व्यक्ति के आत्मसम्मान को वापस दिलाना चाहिए, साथ ही उसकी शिकायत पर तुरंत कार्यवाही की जानी चाहिए.

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