Friday, September 30, 2011

यूपी को 'भीम' नगर और 'प्रबुद्ध' नगर का तोहफा


उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री कु. मायावती ने प्रदेश को तीन और जिलों का तोहफा दिया है. पहले की तरह ही इन जिलों को उन्होंने वंचित समाज का उत्थान करने वाले महापुरुषों को समर्पित किया है. 28 सितंबर को घोषित नए तीन जिलों में एक का नाम बाबा साहेब के नाम पर भीम नगर तो दूसरे का महात्मा बुद्ध के नाम पर प्रबुद्ध नगर रखा गया है. जबकि तीसरे का नाम पंचशील नगर रखा गया है. 1995 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक मायावती ने पंद्रह से ज्यादा जिलों का गठन किया है. इनमें नए दोनों जिलों को मिलाकर कुल 15 जिलों के नाम वंचित समाज के महापुरुषों के नाम पर या फिर उनसे संबंधित स्थानों के नाम पर रखा गया है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद शुरुआत से ही मायावती वंचित समाज के महापुरुषों के नाम को अमर करने में जुटी हुई हैं. 1995 में मायावती ने पहली बार उधमसिंह नगर बनाकर जिलों के गठन की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने आंबेडकर नगर, गौतमबुद्ध नगर, कांशीराम नगर, संत रविदास नगर, महामाया नगर, सिद्धार्थ नगर, कौशांबी, श्रावस्ती, कुशीनगर, रमाबाई नगर, ज्योतिबा फुले नगर और संत कबीर नगर जिलों का गठन किया था. बुधवार को तीन नए जिलों की घोषणा के बाद इसी लिस्ट में अब भीम नगर और प्रबुद्ध नगर भी शामिल हो गया है. हालांकि दलित रहनुमाओं को आगे बढ़ाने की मायावती की यह कोशिश उनके विरोधी मुलायम सिंह यादव और भाजपा को कभी रास नहीं आई है. समय-समय पर वो इसका विरोध करते रहे हैं. एक बार फिर भाजपा का दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है. भाजपा ने मायावती द्वारा प्रबुद्ध नगर नाम का नया जिला गठित करने का विरोध किया है. भाजपा इस जिले का नाम शामली रखने के पक्ष में है. भाजपा ने तो यहां तक घोषणा कर दी है कि विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में आने पर वह प्रबुद्ध नगर का नाम बदल कर शामली रख देंगे.
सिर्फ भाजपा नहीं बल्कि दलित महापुरुषों के नाम पर गठित जिलों को लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह की खुन्नस भी छिपी नहीं है. मुलायम के दलित और पिछड़ा प्रेम के ढ़ोंग को इसी से समझा जा सकता है कि 2003 में सत्ता में आने के बाद उन्होंने मायावती द्वारा बनाए गए सभी 11 जिलों को समाप्त कर दिया था. लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद इन जिलों को फिर से बहाल करना पड़ा.

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