Tuesday, August 30, 2011

लोकपाल बिल में सुझाव देगा 'सोशल जस्टिस फोरम'

लोकपाल में वंचित तबके की भागीदारी और उनके हितों की रक्षा को लेकर ‘सोशल जस्टिस फोरम’ का गठन किया गया है. यह फोरम स्टैंडिंग कमेटी के सामने अपना सुझाव रखने की तैयारी में है. दलित एवं पिछड़े समाज से ताल्लुक रखने वाले सोशल एक्टिविस्ट, बुद्धिजीवियों और एनजीओ का यह संगठन अपनी पांच मांगों को स्टैंडिंग कमेटी के सामने रखेगा. 31 अगस्त को इस संबंध में दिल्ली के Indian social institute में फोरम के कोर ग्रुप की एक बैठक होनी है, जहां इसके तमाम पहलुओं पर चर्चा होगी. 5 सितंबर को इस फोरम द्वारा अंबेडकर भवन से जंतर-मंतर तक एक रैली निकाली जाएगी.
जिन पांच मांगों को स्टैंडिंग कमेटी के सामने रखने का निर्णय लिया गया है, उनमें सर्च कमेटी, सेलेक्शन कमेटी, लोकपाल और जांच एजेंसी में अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यक प्रतिनिधि को शामिल किए जाने की मांग की गई है. अनुसूचित जाति/जनजाति के खिलाफ लोकपाल के समक्ष आने वाले मामले को लोकपाल से पहले अनुसूचित जाति आयोग के पास ले जाने की मांग भी उठाई जा रही है. फोरम में शामिल लोगों का कहना है कि वंचित तबके से ताल्लुक रखने वाले अधिकारियों को लेकर सवर्ण समाज में जातिगत पूर्वाग्रह रहता है. इसके चलते अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को छोटी-छोटी बातों को लेकर परेशान किया जाता है. फोरम जिन पांच मांगों को स्टैंडिंग कमेटी के सामने पेश करने की तैयारी में है, उनमें-

1. सर्च कमेटी, सेलेक्शन कमेटी, लोकपाल और जांच एजेंसी में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों का भी प्रतिनिधित्व हो.
2. फोरम ने कॉरपोरेट में फैले भ्रष्टाचार, मीडिया के भ्रष्टाचार, एनजीओ, पंचायत, म्युनिसिपैलिटी और म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन जैसी स्वायत संस्थाओं को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग की है. अनुसूचित जाति/जनजाति के विकास की योजनाओं के लिए मिलने वाले पैसे को दूसरे मद में खर्च किए जाने और इनके विकास के लिए आवंटित होने वाले सब प्लान के फंड के उचित इस्तेमाल नहीं होने पर इसे भी भ्रष्टाचार के दायरे में लाया जाए.
3. अनुसूचित जाति/जनजाति से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आने वाली शिकायत को पहले अनुसूचित जाति आयोग और जनजाति आयोग को भेजा जाए. आयोग यह जांच करे कि उस पर भ्रष्टाचार का आरोप जातिगत आधार पर लगाया गया है या फिर वो वास्तव में दोषी है.
4. संविधान में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के लिए उल्लिखित किसी भी सिद्धांत या बिंदु को न छुआ जाए.
5. लोकपाल बिल पास करने से पहले हमारी सभी मांगों पर भी बहस हो.

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