वंचित समाज से ताल्लुक रखने वाले हिन्दी के कवि श्री दिलीप अश्क की स्मृति में एक पुरस्कार शुरू किया जा रहा है. ‘आरोही और संज्ञान’ के माध्यम से दिया जाने वाला यह पुरस्कार हर वर्ष दिसंबर महीने में दिया जाएगा. इसके तहत 11,000 रुपये एवं सम्मान पत्र दिया जाएगा. यह सम्मान हिंदी में कविता लिखने वाले किसी भी दलित या गैर दलित युवा को उनके पहले कविता संग्रह या किसी विशिष्ठ कविता के लिए दिया जाएगा. आयोजकों के शर्त के मुताबिक कवि की उम्र 40 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. विशिष्ठ परिस्थितियों में आरोही और संज्ञान के सदस्यों द्वारा उम्र सीमा बढ़ाई जा सकती है. सर्वश्रेष्ठ कवि का चयन एक समिति करेगी. इसमें हिंदी के दो विशिष्ठ कवि और आरोही और संज्ञान के एक-एक सदस्य शामिल होंगे. युवा कवि अपनी विशिष्ट काव्य रचना या कविता संग्रह 30 नवम्बर 2011 तक भेज सकते हैं.
जिन दिलीप अश्क की स्मृति में यह पुरस्कार शुरू किया गया है उनके जीवन वृत पर नजर डालने पर साफ हो जाता है कि वह उन दिनों से कविता कर रहे थे जब दलित साहित्य अस्तित्व में भी नहीं आया था. हिन्दी के अनेक मूर्धन्य कवियों के साथ कविता पाठ कर चुके और उनके समकालीन रहे कवि दिलीप अश्क हिन्दी की मुख्य धारा में तो उपेक्षित रहे ही साथ ही दलित साहित्य आंदोलन भी उन्हें लगभग भुलाये हुए ही है. हिन्दी के युवा कवि मुकेश मानस के अथक प्रयासों से उनकी कविताओं का एक संग्रह “सच खड़ा है सामने” 2000 में प्रकाशित हो चुका है. उनके एक और संग्रह “मैंने झूठ नहीं बोला” को आरोही द्वारा प्रकाशित किए जाने की योजना है.
पुरस्कार के लिए युवा कवि अपनी रचना इस पते पर भेज सकते हैं-
आरोही/संज्ञान : ए-2/128, सेक्टर-11, रोहिणी, दिल्ली-110089
फोन : 09013292928, ईमेल : aarohibooks@gmail.com / hindimanchindia@gmail.com
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