जब सारा देश क्रिकेट के खुमार में डूबा था, एक दलित खिलाड़ी अपनी फरियाद लेकर राष्ट्रीय दलित आयोग में पहुंचा था. रोहतक से आए इस खिलाड़ी और उसके समूचे परिवार को महज इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने अपने गांव में कुश्ती की एक प्रतियोगिता में दबंग समुदाय के एक पहलवान को पटक दिया. क्या दलितों को जीतने का हक भी नहीं है?
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