Monday, December 7, 2009

दलित युवक कुर्सी पर बैठ गया तो गोली मार दी

घटना चार दिसंबर, 09 की है. बिहार के छपरा जिले में एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई. उस युवक की दो गलतियां थी. पहला वह दलित था और दूसरा दलित होने के बावजूद वह कुर्सी पर बैठ गया. घटना छपरा जिले के सलेमपुर गांव की है. गांव में राजपूत जाति के एक व्यक्ति के यहां बारात आई थी. द्वारपूजा का वक्त था. वहीं पर गांव का एक दलित युवक कुर्सी पर बैठा था. यह बात दूल्हे के पिता को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने उसे गोली मार दी. मौके पर ही दलित युवक की मौत हो गई.

4 comments:

  1. बेहद निंदनीय घटना
    ऐसे लोगों को तुरंत सज़ा होनी चाहिये और वह भी फांसी!!

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  2. यह बहुत ही शर्मनाक घटना हैं राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा इस घटना का पूर्ण विरोध करता हैं .इस घटना की फक्त-फैन्डिंग के लिए एक टीम भेजेगा .अनुसूचित जाति आयोग को इस बारे में लिखेगा .बिहार सरकार को इस घटना को मुख्य तौर पर लेना चाहिए.इस घटना के आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर पीड़ित पक्ष को न्याय प्रदान करना चाहिए. बिहार में कार्य करने वाले तमाम दलित संघटनो को इसका विरोध करना चाहिए.

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  3. राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा . शिक्षा,सम्मान,सुरक्षा
    राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा आह्वान करता हैं उन तमाम युवा साथियों का जों डॉ भीमराव आंबेडकर को अपना आदर्श अपना मुक्तिदाता मानते हो ,ऐसे साथी जों दलित समाज पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तैयार हो . राष्ट्रीय दलित युवा मोर्चा एक पूरी तरह से गैर राजनितिक संघटन हैं जों दलित युवाओं को अम्बेडकरवाद की मुख्य धारा में लाना चाहता हैं..आप सभी से अनुरोध हैं की आप इस ग्रुप को ज्वाइन कर आपके पास जों भी लेख हो,दलित अत्याचार सम्बन्धी ख़बरें हो कृपया हमें लिखें |
    जय--भीम

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  4. साथियों जय भीम
    छत्तीसगढ़ में एक महिला दलित कार्यकर्ता
    और उसके पति की हत्या
    एक ओर जहा पुरे देश में दलितों के उपर अत्याचार हो रहे है अब दलितों की
    अधिकारों के लिए लड़ने वाले दलित कार्यकर्ता एवं उनके परिवार भी सुरछित
    नहीं है
    ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ में हुई है
    बिलासपुर जिले के चोरभठी गाव में दलित अधिकारों के लिए कार्य करने वाली
    दलित महिला कार्यकर्ता अनीता सुर्यवंसी अवम उसके पति की हत्या गैर
    दलितों द्वारा कर दी गयी .
    अनीता सुर्यवंसी एक बहुत ही गरीब दलित परिवार की लड़की थी महज छोटी सी
    उम्र में उसके संघर्ष की सुरुवात हुई .उसके गाव गैर दलितों द्वारा दलितों
    के उपर हो रहे अत्याचारों का उसने सर्वप्रथम विरोध किया जिसके लिए उसे कई
    बार गैरदलितो के जुल्म का शिकार होना पड़ा हमेशा उसे जान से मारने की
    धमकी मिलती रही .कुछ आस-पास के दलित कार्यकर्ताओं के साथ जाकर अनीता ने
    अपने निकटम पुलिस थाना में जाकर रिपोर्ट भी लिखवाई .लेकिन पुलिस ने उसे
    गंभीरता से नहीं लिया .पुलिस की लापरवाही की कीमत अनीता और उसके पति को
    अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. अनीता ने अपने अच्छे कार्य वजह से दलित समाज
    के बीच एक अछि जगह बना ली थी अनीता ने महिला सशक्तिकरण समिति नामक संस्था
    बनाई जिसके माध्यम से अनीता कार्य करती रही .गावं की पंचायत ने उसके
    कार्यो को देखते हुए उसकी संस्था को कुछ एकड़ जमीन प्रदान की बस यही जमीन
    गैर दलितों के आखों की किर-किरी बन गयी और उस जमीन के कब्जे को लेकर गैर
    दलितों का अनीता को धमकाना शुरू हो गया | .
    पूरी घटना इस प्रकार है :---घटना हुई दिनाक १ दिसम्बर से १४ दिसंबर के
    बीच
    १ दिसंबर को अनीता अपने निवास से अपनी माँ के निवास जो की उसी गावं में
    थोड़ी ही दूरी पर था गयी उसने अपनी माँ को बताया की कुछ दिन से मोबाइल पर
    किसी महिला जो अपने आपको काँटी साहू की दूसरी पत्नी बताती है उसे जमीन
    एवं ऑफिस छोड़ने के लिए धमकाती रहती है न छोड़ने पर उसे उसके पति सहित
    जान से मारने की धमकी देती हैं इतना अपनी माँ को बताकर वापिस अपने घर चली
    गयी
    २ दिसंबर को अनीता की अपने खेत से लौटे हुए अनीता के घर पहुंची तो वहां
    उसने ताला लगा पाया .फिर अनीता की माँ अपने घर वापिस आ गयी .घर आते ही
    अनीता की बहन सुनीता ने बताया की अनीता का पड़ोस के मोबाइल में काल आया
    था की वह अपने पति के साथ बेरला जा रही हैं और १०-१५ दिनों में लौटेगी .
    ६ दिसंबर ;--- बिलासपुर के एक दानिक पेपर में समाचार आया की बिलासपुर की
    जवाहर नगर में एक व्यक्ति लाश मिली है जिसकी पहचान अनीता के पति के रूप
    में हुई.लाश के पास जहर की छोटी बोतल भी बरामद हुई ताकि यह आत्महत्या लगे
    लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में यह साफ़ हो गया की यह हत्या है अनीता के
    घरवालों ने अनीता के बारे में पतासाजी की पर उसका कोई पता नहीं
    चला .उन्होंने तखतपुर थाना में अनीता के गम एवं उसकी हत्या की आशंका की
    रिपोर्ट लिखवाई .
    १३ दिसंबर ;-अनीता के निवास से लोंगो को बदबू आई लोंगो ने पुलिस को
    सुचना दी .पुलिस ने अनीता के घर का ताला तोडा और अनीता के घर से उसकी लाश
    बरामद की. पुलिस अपने साथ जासूस कुत्ता भी लाई थी जो की सीधा सूंघते हुए
    गावं के बाहर कान्ति साहू के निवास पहुंचा .१३ दिसंबर की रात में खबर
    मिलते ही काफी दलित कार्यकर्ता घटना स्थल पर पहुच गए .अनीता की लाश सड़ी
    गली आधा सरीर कंकाल आधा सही मिला . पुलिस और हमारी टीम ने पाया की जिस
    पलंग पर अनीता लाश मिली थी उसके आस-पास संघर्ष के कोई निशान नहीं थे ऐसा
    प्रतीत होता था जैसे लाश कहीं और लाकर यहाँ रख दिया गया हो .
    १४ दिसंबर पुलिस ने पंचनामा किया और लाश को पोस्ट-मार्टम के लिये
    बिलासपुर मेडिकल हॉस्पिटल भेज दिया . हॉस्पिटल के डोक्टोर्स ने लाश को
    रायपुर रिफेर कर दिया .रायपुर के डॉक्टर ने लाश की तमाम हड्डियों को
    फोरेंसिक जाँच के लिए रख लिया और हमे सिर्फ एक थैले में लाश की थोड़ी सी
    चमड़ी दे दी . जिसका हम लोंगो ने अंतिम संस्कार किया .



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